मोतिहारी सदर अस्पताल में करोड़ों का दवा घोटाला, पुलिसिया जांच में प्रधान लिपिक की भूमिका संदिग्ध, अग्रिम जमानत के लिए न्यायालय पहुंचे*

 

*PATNA: मोतिहारी सदर अस्पताल में घोटालों की लंबी कहानी है. सिविल सर्जन* से लेकर नीचे के कर्मी तक तक फंसे, फिर भी घोटाला रूकने का नाम नहीं ले रहा. वर्ष 2017 में करोड़ों के दवा घोटले व खरीद में हुई गड़बड़ी को लेकर तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ मीरा वर्मा सहित पांच लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी. अब उस केस में सदर अस्पताल के एक लिपिक का भी नाम सामने आया है. पुलिस के अनुसंधान में सदर अस्पताल के प्रधान लिपिक की भूमिका संदिग्ध प्रतीत हुई है. इसके बाद सदर अस्पताल के लिपिक संजय सिन्हा ने अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट में अपील किया है. 

मोतिहारी सदर अस्पताल में करीब चार करोड़ 50 लाख 77 हजार रुपये के दवा घोटाला मामले में अस्पताल के प्रधान लिपिक घिर गए हैं. इतने बड़े घोटाले में संदिग्ध भूमिका के बाद भी उन पर तीन-तीन कामों का जिम्मा दिया गया है. बताया जाता है कि संजय सिन्हा प्रधान लिपिक के साथ-साथ एक पीएचसी के लिपिक के चार्ज में हैं. साथ ही पोस्टमार्टम की भी फाईल डील कर रहे. जानकारी के अनुसार, दवा घोटाले मामले में प्रधान लिपिक संजय सिन्हा की भूमिका संदिग्ध पाई गई है. पुलिस अनुसधान में नाम आने के बाद संजय सिन्हा अग्रिम जमानत के लिए न्यायालय की शरण में पहुंचे हैं. मोतिहारी नगर थाना केस संख्या 232-2017 में लिपिक संजय सिन्हा ने 6 मई को जिला जज की अदालत में अग्रिम जमानत के लिए याचिका लगाई है. जिसमें 27 मई को सुनवाई हुई थी. अगली सुनवाई 14 जून को है.  

बता दें, मोतिहारी के तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ प्रशांत कुमार ने 5 अप्रैल 2017 को नगर थाना में केस दर्ज कराया था. दवा घोटाला करीब चार करोड़ 50 लाख 77 हजार रुपये का है.प्राथमिकी के अनुसार, बगैर किसी आदेश के आपूर्तिकर्ता कंपनी की ओर से करीब छह करोड़ की दवा आपूर्ति की गयी. जांच के दौरान भंडार में करीब 85 लाख सात हजार की दवा मिली. अनुलग्नक के अनुसार, जब भुगतान किया गया है वह ड्यू वाउचर के आधार पर किया गया है. हस्ताक्षर वाउचर पर है, लेकिन पंजी में उसका उल्लेख नहीं है.

मामले को लेकर तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ मीरा वर्मा शाही कॉलोनी हाजीपुर, डॉ यूएस पाठक तत्कालीन भण्डार चिकित्सक, भुनेश्वर श्रीवास्तव तत्कालीन प्रधान लिपिक डामोदरपुर गोविन्दगंज, ब्रह्मपुरा मुजफ्फरपुर निवासी मनोज कुमार व तुरकौलिया, वर्तमान में बेलबनवा निवासी अमित कुमार पर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. सिविल सर्जन ने इन अधिकारियों व कर्मियों की मिलीभगत से बगैर दवा खरीद उक्त राशि के भुगतान का आरोप लगाया था. निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य विभाग डॉ आरडी रंजन ने पूर्व में प्राथमिकी का निर्देश दिया था. प्राथमिकी के बाद विभाग में हड़कंप मच गया था.

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